उज्जायी प्राणायाम
इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।
खड़े होकर करने की विधि :-
- सबसे पहले सावधान कि अवस्था में खड़े हो जाएँ। ध्यान रहे की एड़ी मिली हो और दोनों पंजे फैले हुए हों।
- अब अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होटों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें।
- अब बाहर नीकली हुई जीभ से अन्दर की वायु को बहार निकालें।
- अब अपनी दोनों नासिकायों से धीरे- धीरे व् गहरी स्वास लें।
- अब स्वांस को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें।
- फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।
- ऐसे ही इस क्रिया को 7-8 बार तक दोहरायें।
- ध्यान रहे की इसका अभ्यास 24 घंटे में एक ही बार करें।
बैठकर करने की विधि :-
- सबसे पहले किसी समतल और स्वच्छ जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन, सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।
- अब अपनी दोनों नासिका छिद्रों से साँस को अंदर की ओर खीचें इतना खींचे की हवा फेफड़ों में भर जाये।
- फिर वायु को जितना हो सके अंदर रोके।
- फिर नाक के दायें छिद्र को बंद करके, बायें छिद्र से साँस को बहार निकाले।
- वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हलके घर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है।
- इसका अभ्यास कम से कम 10 मिनट तक करें।
लेटकर करने की विधि :-
- सबसे पहले किसी समतल जमीन पर दरी बिछाकर उस पर सीधे लेट जाए। अपने दोनों पैरों को सटाकर रखें।
- अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
- अब धीरे – धीरे लम्बी व् गहरी श्वास लें।
- अब श्वास को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें।
- फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।
- इसी क्रिया को कम से कम 7-8 बार दोहोरायें।
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