योग से मन रहता है शांत

योग से मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है, लेकिन चिकित्सा शोधों ने ये साबित कर दिया है की योग शारीरिक और मानसिक रूप से वरदान है. योग से तनाव दूर होता है और अच्छी नींद आती है, भूख अच्छी लगती है, इतना ही नहीं पाचन भी सही रहता है.

योग है तन और मन का व्‍यायाम

अगर आप जिम जाते हैं, तो यह आपके शरीर को तो तंदुरुस्त रखेगा, लेकिन मन का क्‍या. वहीं अगर आप योग का सहारा लेते हैं, तो यह आपके तन के साथ ही साथ मन और मश्तिष्‍क को भी तंदुरुस्त करेगा.

योग करने से दूर भागते है रोग

योगाभ्यास से आप रोगों से भी मुक्ति पा सकते हैं. योग से रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है. योग से शरीर स्वस्थ और निरोग बनता है.

योग से होता है वजन नियंत्रण

योग मांस पेशियों को पुष्ट करता है और शरीर को तंदुरुस्त बनाता है, तो वहीं दूसरी ओर योग से शरीर से फैट को भी कम किया जा सकता है.

योग से ब्लड शुगर लेवल करे कंट्रोल

योग से आप अपने ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करता है और बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को घटता है. डायबिटीज रोगियों के लिए योग बेहद फायदेमंद है. योग बैड कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है.

अर्ध चंद्रासन


अर्ध चंद्रासन

- सर्वप्रथम दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने।फिर दोनों पैरों को लगभग एक से डेढ़ फिट दूर रखें। मेरुदंड सीधा रखें।

- इसके बाद दाएँ हाथ को उपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लाएँ फिर हथेली को आसमान की ओर करें। फिर उक्त हाथ को और उपर उठाते कान से सटा देंगे।

- इस दौरान ध्यान रहे की बायाँ हाथ आपकी कमर से ही सटा रहे।फिर दाएँ हाथ को उपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर से बाईं ओर झुकते जाएँ।

- इस दौरान आपका बायाँ हाथ स्वत: ही नीचे खसकता जायेगा। ध्यान रहे कि बाएँ हाथ की हथेली को बाएँ पैर से अलग न हटने पाए।जहाँ तक हो सके बाईं ओर झुके फिर इस अर्ध चंद्र की स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहें।

- वापस आने के लिए धीरे-धीरे पुन: सीधे खड़े हो जाएँ। फिर कान और सिर से सटे हुए हाथ को पुन: कंधे के समानांतर ले आएँ। फिर हथेली को भूमि की ओर करते हुए उक्त हाथ को कमर से सटा लें।

- यह दाएँ हाथ से बाईं ओर झुककर किया गए अर्ध चंद्रासन की पहली आवृत्ति हैं अब इसी आसन को बाएँ हाथ से दाईं ओर झुकते हुए करें तत्पश्चात पुन: विश्राम की अवस्था में आ जाएँ। उक्त आसन को 4 से 5 बार करने से लाभ होगा।

सेतुबंध आसन


सेतुबंध आसन

- सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए।

- अब अपने घुटनों को मोड़े ताकि यह रीढ़ की हड्डी के 90 डिग्री पर हो।

- सांस लेते हुए अपने कमर को सहूलियत के हिसाब से उठाए।

- इस अवस्था को 20-30 सेकंड तक बनाये रखें।

- जब आप आसन  धारण करते है तो धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े।

- फिर सांस छोड़ते हुए ज़मीन पर आये।

- यह एक चक्र हुआ, आप 3 से 5 बार इसे कर सकते हैं।

स्तूपासन


स्तूपासन

- स्तूपासन आसन को करने के लिए नीचे दरी बिछाकर बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को बाईं जांघ पर रखें तथा बाएं पैर को दाएं जांघ पर रखें।

- इसके बाद दोनों हाथों की मुट्ठियां बांधकर पीछे की ओर ले जाएं। अब दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ में कसकर पकड़ कर नीचे की ओर करके रखें। इसके बाद गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए सामने की ओर जितना झुकना सम्भव हों झुकें। मुट्ठियों को कसकर पकड़कर रखें।

- आसन की इस स्थिति में 3 से 10 सैकेंड तक रहें और सांस को रोक कर रखें। फिर सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। आसन की स्थिति में हर सप्ताह 1-1 सैकंड बढ़ाते हुए 3 मिनट तक आसन को कर सकते हैं।

- इस आसन को आसानी से करने के लिए पहले की तरह ही बैठ कर हाथों को पीछे की ओर लगाकर एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें।

- इसके बाद शरीर को आगे की ओर झुकाते हुए मस्तक को जमीन से टिकाएं। इसके बाद सांस छोड़ते हुए व लेते हुए कुछ देर तक इस स्थिति में रहें। फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।

- इसके बाद कुछ समय तक आराम करके पुन: इस आसन को करें। इस तरह से इस आसन को 5 से 10 बार तक करें।


सुप्त पवनमुक्तासन


सुप्त पवनमुक्तासन

आसन को करने की 2 विधि-

पहली विधि-

- सुप्त पवन मुक्तासन में सबसे पहले चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को सीधे सामने की और फैलाकर रखें।

- अब अपने दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर सिर की ओर लाएं और अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर उसके बीच में घुटनों को रखें।

- अब धीरे-धीरे घुटनों को जितना सम्भव हो मुंह की ओर लाएं और अपने सिर को फर्श से ऊपर उठाकर घुटने से नाक छूने की कोशिश करें। इस स्थिति में 2 मिनट तक रहें।

- आखिर में सांस अंदर खींचकर सिर व पैरों को सामान्य स्थिति में लाकर सांस को बाहर निकाल दें। यह प्रक्रिया बाएं पैर से भी करें। दोनों पैरों से यह क्रिया 10-10 बार करें।

दूसरी विधि-

- इस पवन मुक्तासन को दोनों पैरों से भी कर सकते हैं। इसके लिए अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर सिर की ओर लाएं तथा दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर हाथ के बीच में घुटनों को रखें। अब घुटनों को हाथों के सहारे ऊपर खींचे और सिर को ऊपर उठाकर घुटनों को नाक में लगाने की कोशिश करें।

- कुछ समय तक इस स्थिति में रहने के बाद सांस लेते हुए पैरो व सिर को सीधा कर सांस को छोड़ें। इस तरह इस क्रिया को 3 बार करें।

सुखासन


सुखासन

- इस आसन के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं।

- आसन के दौरान मन को शांत व तनाव मुक्त रखें। अब दोनों पैरों को मोड़कर पालथी मारकर बैठ जाएं। फिर शरीर को सीधा व तानकर रखें, जिससे शरीर व कमर बिल्कुल सीधे रहें।

- इसके बाद दोनों हाथों को घुटनों पर रखें तथा उंगलियों को खोलकर रखें। इसके बाद सामान्य रूप से प्राणायाम करते हुए जितनी देर तक इस आसन में बैठना सम्भव हो उतनी देर तक बैठें।

सिंहासन


सिंहासन

सिंहासन को 4 प्रकार से कर सकते हैं।

- सिंहासन आसन का अभ्यास शांत व स्वच्छ वातावरण में करें। इसके लिए पहले दोनों पैरों को मिलाते हुए खड़े हो जाएं। फिर पंजों पर घुटनों के बल बैठ जाएं।

पहली विधि-

- सिंहासन आसन का अभ्यास शांत व स्वच्छ वातावरण में करें। इसके लिए पहले दोनों पैरों को मिलाते हुए खड़े हो जाएं। फिर पंजों पर घुटनों के बल बैठ जाएं। इस स्थिति में एड़ी को ऊपर उठाते हुए इस प्रकार बैठें कि गुदा के पास स्थित सीवनी नाड़ी पर पांव की एड़ी लग जाएं। आसन की इस स्थिति में शरीर का सम्पूर्ण भार पंजों के ऊपर स्थित होगा। इसके बाद ठोड़ी को कंठ से लगाएं और मुंह को खोलकर जीभ को जितना निकाल सकते हैं निकालें। अब दोनों आंखों के बीच में ध्यान लगाते हुए नीचे की ओर देखें और हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखते हुए घुटनों पर रखें। इसके बाद सांस लें और गले से घरघराहट के रूप में छोड़ें।

- आसन के लिए पैरों को घुटनों से मोड़कर घुटनों को आगे की ओर करके रखें। इसके बाद एड़ियों पर बैठते हुए आगे की ओर झुकें और दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच उंगलियों को अंदर की ओर हथेलियों को भूमि पर टिकाकर रखें।

दूसरी विधि-

- आसन के लिए पैरों को घुटनों से मोड़कर घुटनों को आगे की ओर करके रखें। इसके बाद एड़ियों पर बैठते हुए आगे की ओर झुकें और दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच उंगलियों को अंदर की ओर हथेलियों को भूमि पर टिकाकर रखें। अब शरीर का भार दोनों हाथों पर डालते हुए हाथों को सीधा रखें। इसके बाद सिर को थोड़ा सा पीछे की ओर झुकाकर जीभ को मुंह से जितना सम्भव हो उतना बाहर निकालें। इसके बाद अपनी आंखों को दोनों भौहों के बीच एकाग्र करें और सांस लेकर गले से घरघराहट की ध्वनि निकालते हुए सांस को बाहर छोड़ें।

- आसन के लिए पहले दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर दाएं नितम्ब के नीचे रखें और बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर बाएं नितम्ब के नीचे रखें।

तीसरी विधि-

- आसन के लिए पहले दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर दाएं नितम्ब के नीचे रखें और बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर बाएं नितम्ब के नीचे रखें। अब दोनों हाथों को दोनों जांघों के बीच में फर्श से सटाकर रखें तथा हाथों को बिलकुल सीधा रखें। अब पेट को थोड़ा सा अंदर खींचकर छाती को बाहर निकालें तथा गर्दन को सीधा रखते हुए जीभ को जितना बाहर निकाल सके निकालें। अपनी आंखों को नाक के अगले भाग पर टिकाकर रखें और सांस लेकर उसे गले से घरघराहट के साथ निकालें।

- आसन की इस क्रिया में दोनों पैरों को पीछे की ओर मोड़कर, पंजों को नीचे टिकाते हुए एड़ियों पर बैठे जाएं और घुटनों को जमीन से टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में एड़ी व पंजों को मिलाकर व घुटनों को जितना सम्भव हो अलग करके रखें।

चौथी विधि-

- आसन की इस क्रिया में दोनों पैरों को पीछे की ओर मोड़कर, पंजों को नीचे टिकाते हुए एड़ियों पर बैठे जाएं और घुटनों को जमीन से टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में एड़ी व पंजों को मिलाकर व घुटनों को जितना सम्भव हो अलग करके रखें। अब दोनों हाथों को जांघों के बीच जमीन पर लगाएं तथा हाथ के पंजे बाहर की ओर खुले रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद दोनों हाथों को तानकर जीभ को जितना सम्भव हो बाहर निकालें। कमर को थोड़ा-सा झुकाकर सांस लें तथा उसे गले से घरघराहट के रूप में छोड़ें।

समत्त्वासन


समत्त्वासन

- समत्त्वासन आसन के अभ्यास के लिए नीचे दरी या चादर बिछाकर बैठना चाहिए।

- इस आसन को करने के लिए बाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे को पकड़ें व दाएं हाथ से बाएं पैर के पंजे को पकड़ें।

- आसन की इस स्थिति में बैठे-बैठे ही एकबार गोल घूम जाएं और पहले वाले स्थान पर आ जाएं।

- इसके बाद कुछ क्षण रुकें और फिर दूसरी ओर से एकबार गोल घूम जाएं। इस तरह इस क्रिया को 5 से 10 बार करें।

सन्तुलनासन


सन्तुलनासन

- संन्तुलनासन आसन का अभ्यास स्वच्छ व हवादार जगह पर करें। इस आसन को करने के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं और घुटने व पंजे को जमीन पर टिकाते हुए उस पर नितम्ब (हिप्स) रखकर बैठ जाएं।

- इसके बाद बाएं पैर को मोड़कर दाईं जांघ पर रखें, फिर पूरे शरीर का भार दाएं पैर व घुटने पर डालकर संतुलित करें।

- इस आसन की शुरुआती अवस्था में कठिनाई हो तो सहारे के लिए दीवार आदि का सहारे ले सकते हैं।

- अब अपने दोनों हाथों को कमर पर रखकर जितनी देर सांस को रोक सके रोके और उसके बाद धीरे-धीरे सांस को छोड़े।

- आसन की इस स्थिति में अपनी दृष्टि को दोनों आंखों के बीच में लगाएं और मन को एकाग्र करें तथा भगवान का चिंतन करें। बाहरी चिंता को अपने मन में न आने दें।

- आसन की इस स्थिति में कुछ देर रहने के बाद यह क्रिया दूसरे पैर से भी करें।

संकटासन


संकटासन

पहली स्थिति-

- संकटासन के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं। अपने शरीर और सिर, हाथ व गर्दन को बिल्कुल सीधा रखें। अब बाएं पैर को तान कर सीधा रखें और दाएं पैर को उस पर रस्सी की तरह लपेट लें (दाएं पैर को बाएं पैर के बाईं ओर से पीछे से घुमाकर दाईं बगल में लें आएं)।

- अब अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर उसे भी आपस में रस्सी की तरह लपेट लें। इसके बाद शारीरिक संतुलन बनाते हुए हाथों को ऊपर खींचते हुए शरीर में खिंचाव लाएं एवं सांस सामान्य रूप से लें और छोड़े।

- इस प्रकार इस स्थिति में जितनी देर रहना सम्भव हो रहें। फिर हाथ व पैरों के बंधन खोलते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं। फिर इस क्रिया को दाएं पैर को सीधा रखकर बाएं पैर को ऊपर लपेटकर पुन: इस क्रिया को दोहराएं।

- इस क्रिया को दोनों पैरों से बदल-बदल कर करें तथा हाथों को पहले की तरह ही आपस में रस्सी की तरह लपेट कर रखें।

दूसरी स्थिति :-

- पहली विधि का अभ्यास करने के बाद दूसरी विधि का अभ्यास करें। इसके अभ्यास के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने सिर गर्दन व पीठ को बिल्कुल सीधा रखें।

- फिर बाएं पैर को सीधा रखते हुए दाएं पैर को उस पर रस्सी की तरह लपेट लें। फिर बाएं पैर को धीरे-धीरे घुटनों से मोड़ते हुए अपने पूरे शरीर का भार बाएं पैर पर डालकर इस तरह से बैठें जैसे कुर्सी पर बैठते हैं।

- इसके बाद अपने हाथों को सामने की ओर सीधा फैलाकर दोनों हथेलियों को आपस में मिलाकर (नमस्कार मुद्रा में) रखें।

- सांस लेने व छोड़ने की क्रिया सामान्य रखते हुए कुछ देर तक इसी तरह रहें और फिर वास्तविक स्थिति में आ जाएं। इस तरह इस आसन को दूसरे पैर से भी करें।

- इस अभ्यास को दोनों पैरों से 5-5 बार करें तथा हाथों को पहले की तरह ही नमस्कार मुद्रा में रखें।

वज्रासन


वज्रासन

- वज्रासन के लिए सबसे पहले चटाई पर सामान्य स्थिति में बैठ जाएं। अब अपने दायें पैर को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं और दायें नितम्ब के नीचे लगाएं। एड़ी को शरीर से सटाकर तथा पंजे को ऊपर की ओर रखें।

- इस में घुटने से पैर की अंगुलियों तक का भाग फर्श से बिल्कुल सटाकर रखें। फिर बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर पीछे की ओर नितम्ब से लगाएं। दोनों घुटनों को मिलाकर रखें तथा तलवों को अलग-अलग रखें।

- अब अपने दोनों हाथों को तानकर घुटनों पर रखें और अपने पूरे शरीर का भार एड़ी व पंजो पर डालकर बैठ जाएं। अपने कमर, रीढ़ की हड्डी, सिर आदि को बिल्कुल सीधा व तान कर रखें।

- इस स्थिति में आने के बाद दृष्टि (आंखों) को नाक के अगले भाग पर टिकाकर सामान्य रूप से सांस लें और छाती को फुलाएं। वज्रासन की इस स्थिति में 10 से 15 मिनट तक रहें।

महावीरासन


महावीरासन

- महावीरासन का अभ्यास शांत व स्वच्छ स्थान पर करना चाहिए। पहले अभ्यास के लिए दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं।

- इसके बाद बाएं पैर को डेढ़ से दो फुट पीछे की ओर ले जाकर पंजों को नीचे टिकाकर रखें और दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर आगे की ओर करके एड़ी व पंजों को जमीन (फर्श) पर टिकाएं।

- इसके बाद मुट्ठियों को सीने से 8 से 10 इंच आगे रखकर गले की नसों व नाड़ियों को सख्त बनाएं। अब सांस को अंदर खींचते हुए पेट फुलाएं और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़ें।

- इस तरह सांस को लेते व छोड़ते हुए 2 मिनट तक इस स्थिति में रहें। इस क्रिया में पूरे शरीर को तान कर रखें।

- 2 मिनट तक इस स्थिति में रहने के बाद धीरे-धीरे दोनों पैरों को पहले की तरह एक स्थान पर लाकर 1 मिनट तक आराम करें।

- फिर इस क्रिया को दूसरे पैर से भी करें। इस क्रिया को दोनों पैरों से बदल-बदलकर 4-4 बार करें।

मत्स्येन्द्रासन


मत्स्येन्द्रासन

- इस आसन को करने के लिए फर्श पर चटाई या दरी बिछाकर बैठ जाएं।

- इसके बाद दाएं पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी को अंदर की तरफ बाएं नितम्ब (हिप्स) और अंडकोष के बीच लगाकर फर्श से टिकाकर रखें।

- फिर बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर ऊपर से उठाकर लाएं और दाएं घुटने के पास दाईं ओर फर्श पर टिकाकर रखें।

- अब दाएं हाथ को बाएं घुटने के आगे से घुमाकर दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लें और बाएं हाथ को पीछे से लाकर दाईं जांघ को पकड़ने की कोशिश करें।

- इस स्थिति में आने के बाद सिर, गर्दन व छाती को धीरे-धीरे बाईं ओर घुमाएं।

- कुछ समय तक इस स्थिति में रहने के बाद यह क्रिया दूसरे पैर से दूसरी ओर भी करें। इस तरह दोनों पैरों को बदल-बदल कर इस क्रिया को 3-3 बार करें।

भ्रमणासन


भ्रमणासन

- भ्रमणासन के अभ्यास की 3 स्थितियां हैं। इस आसन का अभ्यास स्वच्छ वातावरण में नीचे दरी या चटाई बिछाकर करें।

- भ्रमणासन की 3 स्थितियां और विधि :

- ऊपर बताए हुए स्थान पर दरी बिछाकर दोनों पैरों को सामने सीधा फैला लें। बाएं पैर को बिल्कुल सीधा रखें और दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर बाएं पैर के घुटनों के पास बाईं तरफ फर्श पर रखें

पहली स्थिति-

- ऊपर बताए हुए स्थान पर दरी बिछाकर दोनों पैरों को सामने सीधा फैला लें। बाएं पैर को बिल्कुल सीधा रखें और दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर बाएं पैर के घुटनों के पास बाईं तरफ फर्श पर रखें। फिर दाएं हाथ को कमर के पीछे से घुमाकर कमर की दाईं ओर जितना सम्भव हो खींचें और बाएं हाथ की हथेली को दाएं पैर के पंजों पर टिकाकर रखें। इसके बाद गहरी सांस लेते हुए सिर, कन्धे व पीठ को दायीं ओर घुमाएं। अब जितनी देर श्वास को रोक सकना सम्भव हो रोककर रखें, फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सिर, कंधे व पीठ को पुन: सामान्य स्थिति में ले आएं। इस तरह इस क्रिया को 2 से 3 बार करें और फिर इस क्रिया को पैरों व हाथों की स्थिति बदल कर करें। इस क्रिया को दोनो पैरो से बदल-बदलकर 3-3 बार करें। सांस को रोकने की स्थिति में 5 सैकेंड की वृद्धि करते हुए 3 से 6 मिनट तक ले जाएं। इस आसन में अधिक देर तक रहने के लिए गहरी श्वास लेते रहना आवश्यक है। आसन को खोलते समय सांस को बाहर छोड़कर सामान्य रूप से सांस लें।

- पहले भ्रमणासन की पहली स्थिति का अभ्यास करने के बाद अपने दोनों पैरों को फैलाए रखें।

दूसरी स्थिति-

- पहले भ्रमणासन की पहली स्थिति का अभ्यास करने के बाद अपने दोनों पैरों को फैलाए रखें। इसके बाद दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर बाएं घुटने के पास फर्श पर रखें और बाएं पैर के घुटने को मोड़कर एड़ी को नितम्ब (हिप्प) से सटाकर रखें। दाएं हाथ को कमर के पीछे से घुमाकर बायीं ओर लाएं व हथेली को खुला रखें। बाएं हाथ को पहले की तरह दाएं पंजो के पास रखें। अब गहरी सांस लेते हुए सिर, गर्दन व छाती को धीरे-धीरे दाएं ओर घुमाते हुए ठोड़ी और कंधें की सीध में ले आएं। इस स्थिति में 10 सैकेंड तक रहें, फिर धीरे-धीरे सिर, कंधों व छाती को सीधा कर लें। इस अभ्यास को फिर करें और सामान्य स्थिति में आने के बाद सांस सामान्य रूप से लें। इस क्रिया को दोनो पैरो की स्थिति बदल-बदल कर करना चाहिए।

- यह आसन दूसरी भ्रमणासन की तरह ही होती है। इसमें केवल बांहों की स्थिति में परिवर्तन किया जाता है। इसके अभ्यास के लिए भ्रमणासन की दूसरी स्थिति में आएं।

तीसरी स्थिति-

- यह आसन दूसरी भ्रमणासन की तरह ही होती है। इसमें केवल बांहों की स्थिति में परिवर्तन किया जाता है। इसके अभ्यास के लिए भ्रमणासन की दूसरी स्थिति में आएं। फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर के घुटने के पास रखें। दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बायीं ओर नितम्ब (हिप्प) से सटाकर रखें। बाएं हाथ को दाएं पैर के पंजो के पास रखें तथा दाएं हाथ को कमर के पीछे से घुमाकर बाईं ओर लाएं। इसके बाद गहरी सांस लेकर और सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे सिर, कंधों व छाती को बाईं ओर घुमा लें। इस क्रिया को 2 से 3 बार करें। फिर पैरों व हाथों की स्थिति बदल कर यही क्रिया बाईं ओर से भी करें।

भूनमनासन


भूनमनासन

- भूनमनासन का अभ्यास स्वच्छ वातावरण व स्वच्छ हवा के बहाव वाले स्थान पर करें। इस आसन के लिए उपयुक्त स्थान पर चटाई या दरी बिछाकर बैठ जाएं।

- अब अपने दोनों पैरों को दोनों बगल में जितना सम्भव हो फैलाएं। फिर आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को फैलाकर दोनों पैरों के पंजों को या अंगूठे को पकड़ लें।

- अब सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे की ओर झुकाकर सिर को फर्श पर टिकाने की कोशिश करें।

- साथ ही कंधे और छाती को भी फर्श पर लगाकर लेट जाएं। इस स्थिति में तब तक रहें, जब तक आप रहना चाहें।

- इस आसन के अभ्यास की शुरूआत में पैरों को फैलाने में परेशानी हो तो, पैरों को उतना ही फैलाएं जितना सम्भव हो। इसका अभ्यास करें और धीरे-धीरे पैरों को अधिक फैलाने की कोशिश करें।

पर्वतासन


पर्वतासन

- आसन का अभ्यास स्वच्छ वातावरण व खुली हवादार जगह पर करना चाहिए।

- आसन के लिए नीचे दरी बिछाकर पद्मासन में बैठ जाएं। पद्मासन लगाने के लिए पहले दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बाएं जांघ पर रखें और बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं जांघ पर रखें।

- इस आसन की स्थिति में दोनों एड़ियों को नाभि के नीचे सटाकर रखें। अब धीरे-धीरे सांस खींचते हुए छाती को फुलाएं और दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचे और जितनी देर तक सांस को रोक सकते हैं रोक लें।

- फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथों को घुटनों तक लाएं। इस स्थिति में पीठ व हाथों को सीधा व तान कर रखें। इसके बाद 20 सैकेंड तक आराम करें और पुन: इस क्रिया को दोहराएं। इस तरह इस क्रिया को 10 बार करें।

नटराज आसन


नटराज आसन

पहली विधि-

- नटराज आसन के लिए पहले दोनों पैरों को मिलाकर सीधा खड़े हो जाएं। इसके बाद बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर जितना अधिक से अधिक सम्भव हो ऊपर उठाएं।

- अब दाएं हाथ को पीछे करके ऊपर उठे दाएं पैर के टखनों को पकड़ लें। सिर को सीधा करके दाएं हाथ को ऊपर की ओर नाक के सीध में रखें।

- सांस क्रिया सामान्य रूप से करें। आसन की इस स्थिति में शरीर का संतुलन जितनी देर तक बनाकर रखना सम्भव हो बनाकर रखें और सामान्य स्थिति में आ जाएं।

- इसके बाद सीधे होकर यह क्रिया दूसरे पैर से भी करें। इस क्रिया को दोनों पैरों से बदल-बदलकर करें।

इस आसन के अभ्यास में शरीर की स्थिति बिल्कुल पहले की तरह ही रखें। दाएं पैरों को पीछे की ओर जितना ऊपर उठा सकते हैं, पैर को ऊपर उठाएं।

दूसरी विधि-

- इस आसन के अभ्यास में शरीर की स्थिति बिल्कुल पहले की तरह ही रखें। दाएं पैरों को पीछे की ओर जितना ऊपर उठा सकते हैं, पैर को ऊपर उठाएं।

- इसके बाद दाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर दाएं पैर को घुटने से मोड़कर उसके अंगूठे को हाथ से पकड़ लें। बाएं हाथ को छाती की सीध में आगे की ओर करके सभी अंगुलियों को मोड़कर केवल तर्जनी अंगुली को खोले रखें। अब पूरे शरीर का संतुलन बाएं पैर पर बनाकर रखें तथा जितने समय तक इस स्थिति में रह सकें, रहें।

- फिर वास्तविक स्थिति में आकर इस क्रिया को दूसरे पैर से भी करें। इस क्रिया को 3 से 5 बार करें।

दण्डासन


दण्डासन

- दण्डासन के लिए पहले पेट के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को मिलाकर व तानकर रखें।

- इसके बाद अपने दोनों हाथों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए छाती के बिल्कुल सीध में हाथ को कोहनियों से मोड़कर रखें।

- अब पूरे शरीर को तानते हुए धीरे-धीरे सांस अंदर खींचे (वायु को अंदर भरे) और पंजों पर शरीर का भार देते हुए दोनों हाथों के सहारे शरीर को तब तक ऊपर उठाएं जब तक दोनों हाथ बिल्कुल सीधे न हो जाएं।

- फिर सांस छोड़ते हुए (वायु को बाहर निकालते हुए) धीरे-धीरे शरीर को नीचे फर्श से थोड़े ऊपर रखें और पुन: श्वास लेकर शरीर को ऊपर ले जाएं।

- इस प्रकार से श्वास लेकर ऊपर और श्वास छोड़ते हुए नीचे आते हुए इस क्रिया को कई बार करें। इस आसन के अंत में सांस को छोड़कर आराम करें।

तुलासन


तुलासन

- इस आसन का अभ्यास स्वच्छ व साफ स्थान पर करें। आसन के अभ्यास के लिए नीचे दरी या चादर बिछा लें।

- आसन के लिए पहले दोनों पैरों को मोड़कर पीछे की ओर कर घुटनों के सहारे बैठ जाएं। पंजों को नीचे करके व एड़ी को मिलाकर रखें।

- अब घुटनों के बीच दूरी रखते हुए दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच में फर्श से टिकाकर रखें। इसके बाद सांस अन्दर लेते हुए पूरे शरीर का भार दोनों हाथों पर डालें और आगे की ओर झुकते हुए नितम्ब (हिप्स) व पंजे समेत पूरे शरीर को ऊपर उठाएं।

- आसन की इस स्थिति में पूरे शरीर का भार हथेलियों पर रखते हुए शरीर का संतुलन बनाकर रखें। आसन की इस स्थिति में जितनी देर सम्भव हो रहें और फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।

- पुन: इस क्रिया को करें और इस तरह से इस क्रिया को 5 बार दोहराएं। इस आसन के पहले अभ्यास में शरीर का पूरा भार हथेलियों पर डालकर आसन को करें, फिर धीरे-धीरे अंगुलियों तथा अंगूठे पर संतुलन बनाकर करें। इस आसन को शुरू-शुरू में करने पर कठिनाई तो होती है, परन्तु प्रतिदिन अभ्यास करने से यह आसन आराम से होने लगता है।

तितली आसन


तितली आसन

- इस आसन के लिए नीचे दरी या चादर बिछाकर बैठ जाएं।

- अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर शरीर की ओर करके रखें। इसके बाद दोनों पैरों के पंजे व एड़ी को मिलाते हुए तलुवों को एक दूसरे के समान्तर में मिला लें। अब एड़ियों को जितना सम्भव हो शरीर के पास लाएं।

- फिर दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर पंजों को पकड़ लें और कोहनियों से घुटनों को धीरे-धीरे नीचे दबाएं।

- इसके बाद पंजों को छोड़ दें और दोनों हाथ से दोनों घुटनों को नीचे दबाएं और फिर छोड़ दें। फिर घुटनों को ऊपर आने के बाद पुन: इसे नीचे की ओर दबाएं। इस तरह इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।

गर्भासन


गर्भासन

- गर्भासन को करने के लिए नीचे चटाई आदि बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद अपने दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर बाईं जांघ पर रखें और बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाईं जांघ पर रखें जैसे पदमासन में बैठते हैं।

- इसके बाद अपने हाथों को जांघ व पिंडलियों के बीच से फंसाकर कोहनियों तक बाहर निकालें और दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए दोनों घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं तथा शरीर को संतुलित करते हुए दोनों हाथों से अपने कान को पकड़े। आसन के इस स्थिति में आने पर शरीर का पूरा भार नितम्ब (हिप्प) पर होना चाहिए।

- इस स्थिति में 1 से 5 मिनट तक रहें और पुन: सामान्य स्थिति में आ जाएं।

कुक्कुटासन


कुक्कुटासन

- कुक्कुटासन आसन के लिए फर्श पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बाएं पैर की जांघ पर रखें और बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाईं जांघ पर रखें।

- इसके बाद दोनों हाथों को दोनों जांघों व पिंडलियों के बीच से कोहनी तक का हिस्सा बाहर निकालें। अब दोनों हथेलियों को फर्श पर टिकाकर पूरे शरीर का भार उस पर डालकर शरीर को जितना ऊपर उठा सके उठाएं।

- शरीर को ऊपर उठाने के बाद इस स्थिति में 15 से 30 सैकेंड तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं। इस स्थिति में 2 मिनट तक रहा जा सकता है।

कंधरासन


कंधरासन

- इस आसन का अभ्यास स्वच्छ-साफ स्थान पर करें। इसके अभ्यास के लिए पहले नीचे चटाई या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।

- इसके बाद पैरों को घुटनों से मोड़कर फर्श पर टिकाएं तथा दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ी के ऊपर वाले स्थान को पकड़ लें।

- सिर को फर्श से टिका कर रखें तथा पंजों पर जोर देकर छाती, कमर, पीठ, नितम्ब व जांघों को ऊपर उठाएं।

- इस स्थिति में 1 से 2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। आसन की पूर्ण स्थिति में पूरे शरीर का भार कंधों व पंजों पर रहना चाहिए।

- इसका अभ्यास 5 से 10 बार करें। इस आसन को प्रारम्भ में करना कठिन होता है परन्तु प्रतिदिन इसका अभ्यास करने से यह आसन सरलता से होने लगता है।

उत्तान कूर्मासन


उत्तान कूर्मासन

- उत्तान कूर्मासन के अभ्यास के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं।

- फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्ब के नीचे रख लें। पंजों को मिलाकर एड़ियों को थोड़ा अलग रखें। अब पूरे शरीर का भार एड़ी व पंजों पर डालकर बैठ जाएं।

- हाथों को कमर के नीचे जमीन पर रखें। फिर शरीर का संतुलन बनाते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए शरीर को जमीन पर टिका दें।

- इसके बाद दोनों हाथों को दोनों जांघों पर रखें। आसन की इस स्थिति में कंधे व गर्दन को जमीन से सटाकर रखें और श्वासन क्रिया सामान्य रूप से करें। आसन की स्थिति में जितनी देर तक रहना सम्भव हो रहें।

कुर्मासन


कुर्मासन

- सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।

- फिर अपनी कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर हथेलियों को मिलाकर ऊपर की ओर सीधा रखें।

- इसके बाद श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकिए और ठोड़ी को भूमि पर टिका दें।

- इस दौरान दृष्टि सामने रखें और हथेलियों को ठोड़ी या गालों से स्पर्श करके रखें।

- कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं।

- यह आसन और भी कई तरीकों से किया जाता है, लेकिन सबसे सरल तरीका यही है।

अर्ध-मत्स्येन्द्रासन


अर्ध-मत्स्येन्द्रासन

- बैठकर दोनों पैर लंबे किए जाते हैं।

- बाएँ पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी गुदाद्वार के नीचे जमाएँ।

- अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर बाएँ पैर की जंघा के ऊपर रख दें।

- अब बाएँ हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करके अर्थात घुटने को बगल में दबाते हुए बाएँ हाथ से दाहिने पैर का अँगूठा पकड़ें।

- अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बाएँ पैर की जाँघ का निम्न भाग पकड़ें।

- सिर दाहिनी ओर इतना घुमाएँ क‍ि ठोड़ी और बायाँ कंधा एक सीधी रेखा में आ जाए।

- छाती बिल्कुल तनी हुई रखें।

- यह एक तरफ का आसन हुआ।

- इस प्रकार दूसरी तरफ का आसन भी करें।

- प्रारंभ में पाँच सेकंड यह आसन करना पर्याप्त है।

- फिर अभ्यास बढ़ाकर एक मिनट तक आसन कर सकते हैं।

गोमुखासन


गोमुखासन

- पहले दोनों पैरों को सामने सीधे एड़ी-पंजों को मिलाकर बैठे।

- अब बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें।

- दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें।

- इस स्थिति में दोनों जंघाएं एक-दूसरे के ऊपर रखी जाएगी जो त्रिकोणाकार नजर आती है।

- फिर श्वास भरते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की ओर ले जाएं |

- बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजें को पकड़े।

- गर्दन व कमर सीधी रखें।

- जब तक आराम से रहा जा सकता है तब तक रहें।

- धीरे- धीरे श्वास छोड़ते हुए हाथों को खोल दें और पुन: दंडासन की स्थिति में आ जाएं।

उत्तानपदासन


उत्तानपदासन

खिंचाव तक पहुँचने के लिए -

- इस आसन के लिए आप अपनी पीठ पर लेटते है। पैरों को एक साथ करो। अपनी हथेलियों शरीर से ४ से ६ इंच दूर रखिये |

- अपने पैरों को फर्श से ४५ या ५० डिग्री पर उठाइए। अपने हाटों को ऊपर उठाइए, उन्हें पैरों के समानांतर लाएं | दोनों पैर और हाथ सीधे होने चाहिए।
पसलियों का विस्तार करें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।

सामान्य स्थिति में आने के लिए -

- साँस छोड़ते हुए फर्श पर अपने पैर और हातों को आराम से रखिये।

मर्कटासन


मर्कटासन

खिंचाव तक पहुँचने के लिए -

- पैरों को सीधा करके अपनी पीठ पर सीधे लेट जाओ।

- घुटने ऊपर करके पैरों को मोड़ लें | दोनों हाथ कंधों के साथ सीधी रेखा में फैला फर्श पर रखें।

- सांस अंदर लें | सिर को दांयी ओर और अपने घुटनों को बांयी ओर मुडाईए |फर्श पर घुटनों को छूने की कोशिश करें। जहाँ तक संभव हो दांयी ओर देखो।
४ से ५ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहते हैं।

सामान्य स्थिति में आने के लिए -

- अब साँस छोड़ते वापस शुरूवाली की स्थिति में आ जाएं |

- अब दूसरे पक्ष के लिए यह आसन करें यानि इसे विपरीत दिशा में करें | ८ से १० बार के लिए इसे दोहराएँ।

शशंकासन


शशंकासन

खिंचाव तक पहुँचने के लिए -

- दोनों पैरों को घुटने से पीछे मोड़ कर वज्रासन में बैठें।

- पैरों के पंजे एक दूसरे को छूने चाहिए। पंजो के ऊपर सीधे बैठिये |

- अब घुटने एक दूसरे को सामने लाईये | घुटने एक दूसरे को छूने चाहिए।

- दोनों हाथों को ऊपर उठा कर कानो से लगाकर सीधा ऊपर उठाए |

- अब सामने शरीर को झुकाएं और जमीन को अपना माथा और हथेलियाँ छूने की कोशिश करें।

सामान्य स्थिति में आने के लिए -

- रिलीज करने के लिए, धीरे धीरे वज्रासन की सामान्य स्थिति में वापस लौटे। आप इस आसन को कम से कम ८-१० बार कर सकते हैं।

मत्स्यासन


मत्स्यासन

- पहले पद्मासन लगाकर बैठ जाएँ।

- फिर पद्मासन की स्थिति में ही सावधानीपूर्वक पीछे की ओर च‍ित होकर लेट जाएँ।

- ध्यान रहे क‍ि लेटते समय दोनों घुटने जमीन से ही सटे रहें।

- दोनों कोहनियों को भूमि से लगाए रखें।

- एक मिनट से प्रारम्भ करके पाँच मिनट तक अभ्यास बढ़ाएँ।

- पुन: हाथों की सहायता से उठकर बैठ जाएँ।

- आसन करते वक्त श्वास की गति सामान्य बनाए रखें।

चक्की चालनासन


चक्की चालनासन

- इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले साफ फर्श पर एक योगा मैट को बिछा के उस अपने दोनों पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं।

- इस आसन को करने के लिय आप दंडासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।

- फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से दूर-दूर फैला लें।

- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और दोनों हाथों को सीधा फर्श पर रखें।

- अब दोनों हाथों को ऊपर उठें और अपने मुँह के सामने की ओर सीधा कर लें।

- दोनों हाथों की उँगलियों को आपस में फसा के दोनों हाथों को जोड़ लें।

- अब साँस को अन्दर की ओर लेते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लायें और दोनों हाथों को दाएं पैर की ओर आगे करें।

- अब साँस को बाहर की ओर छोड़ते हुए दोनों हाथों को बाएं पैर की ओर से पीछे की ओर ले आयें।

- यह क्रिया कुछ देर करने के बाद पुनः इसे विपरीत दिशा में करें।

- इस आसन को आप प्रत्येक दिशा में 5 से 10 राउंड में करने का प्रयास करें।