सिंहासन


सिंहासन

सिंहासन को 4 प्रकार से कर सकते हैं।

- सिंहासन आसन का अभ्यास शांत व स्वच्छ वातावरण में करें। इसके लिए पहले दोनों पैरों को मिलाते हुए खड़े हो जाएं। फिर पंजों पर घुटनों के बल बैठ जाएं।

पहली विधि-

- सिंहासन आसन का अभ्यास शांत व स्वच्छ वातावरण में करें। इसके लिए पहले दोनों पैरों को मिलाते हुए खड़े हो जाएं। फिर पंजों पर घुटनों के बल बैठ जाएं। इस स्थिति में एड़ी को ऊपर उठाते हुए इस प्रकार बैठें कि गुदा के पास स्थित सीवनी नाड़ी पर पांव की एड़ी लग जाएं। आसन की इस स्थिति में शरीर का सम्पूर्ण भार पंजों के ऊपर स्थित होगा। इसके बाद ठोड़ी को कंठ से लगाएं और मुंह को खोलकर जीभ को जितना निकाल सकते हैं निकालें। अब दोनों आंखों के बीच में ध्यान लगाते हुए नीचे की ओर देखें और हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखते हुए घुटनों पर रखें। इसके बाद सांस लें और गले से घरघराहट के रूप में छोड़ें।

- आसन के लिए पैरों को घुटनों से मोड़कर घुटनों को आगे की ओर करके रखें। इसके बाद एड़ियों पर बैठते हुए आगे की ओर झुकें और दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच उंगलियों को अंदर की ओर हथेलियों को भूमि पर टिकाकर रखें।

दूसरी विधि-

- आसन के लिए पैरों को घुटनों से मोड़कर घुटनों को आगे की ओर करके रखें। इसके बाद एड़ियों पर बैठते हुए आगे की ओर झुकें और दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच उंगलियों को अंदर की ओर हथेलियों को भूमि पर टिकाकर रखें। अब शरीर का भार दोनों हाथों पर डालते हुए हाथों को सीधा रखें। इसके बाद सिर को थोड़ा सा पीछे की ओर झुकाकर जीभ को मुंह से जितना सम्भव हो उतना बाहर निकालें। इसके बाद अपनी आंखों को दोनों भौहों के बीच एकाग्र करें और सांस लेकर गले से घरघराहट की ध्वनि निकालते हुए सांस को बाहर छोड़ें।

- आसन के लिए पहले दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर दाएं नितम्ब के नीचे रखें और बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर बाएं नितम्ब के नीचे रखें।

तीसरी विधि-

- आसन के लिए पहले दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर दाएं नितम्ब के नीचे रखें और बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर बाएं नितम्ब के नीचे रखें। अब दोनों हाथों को दोनों जांघों के बीच में फर्श से सटाकर रखें तथा हाथों को बिलकुल सीधा रखें। अब पेट को थोड़ा सा अंदर खींचकर छाती को बाहर निकालें तथा गर्दन को सीधा रखते हुए जीभ को जितना बाहर निकाल सके निकालें। अपनी आंखों को नाक के अगले भाग पर टिकाकर रखें और सांस लेकर उसे गले से घरघराहट के साथ निकालें।

- आसन की इस क्रिया में दोनों पैरों को पीछे की ओर मोड़कर, पंजों को नीचे टिकाते हुए एड़ियों पर बैठे जाएं और घुटनों को जमीन से टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में एड़ी व पंजों को मिलाकर व घुटनों को जितना सम्भव हो अलग करके रखें।

चौथी विधि-

- आसन की इस क्रिया में दोनों पैरों को पीछे की ओर मोड़कर, पंजों को नीचे टिकाते हुए एड़ियों पर बैठे जाएं और घुटनों को जमीन से टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में एड़ी व पंजों को मिलाकर व घुटनों को जितना सम्भव हो अलग करके रखें। अब दोनों हाथों को जांघों के बीच जमीन पर लगाएं तथा हाथ के पंजे बाहर की ओर खुले रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद दोनों हाथों को तानकर जीभ को जितना सम्भव हो बाहर निकालें। कमर को थोड़ा-सा झुकाकर सांस लें तथा उसे गले से घरघराहट के रूप में छोड़ें।

0 comments:

Post a Comment