योग से मन रहता है शांत

योग से मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है, लेकिन चिकित्सा शोधों ने ये साबित कर दिया है की योग शारीरिक और मानसिक रूप से वरदान है. योग से तनाव दूर होता है और अच्छी नींद आती है, भूख अच्छी लगती है, इतना ही नहीं पाचन भी सही रहता है.

योग है तन और मन का व्‍यायाम

अगर आप जिम जाते हैं, तो यह आपके शरीर को तो तंदुरुस्त रखेगा, लेकिन मन का क्‍या. वहीं अगर आप योग का सहारा लेते हैं, तो यह आपके तन के साथ ही साथ मन और मश्तिष्‍क को भी तंदुरुस्त करेगा.

योग करने से दूर भागते है रोग

योगाभ्यास से आप रोगों से भी मुक्ति पा सकते हैं. योग से रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है. योग से शरीर स्वस्थ और निरोग बनता है.

योग से होता है वजन नियंत्रण

योग मांस पेशियों को पुष्ट करता है और शरीर को तंदुरुस्त बनाता है, तो वहीं दूसरी ओर योग से शरीर से फैट को भी कम किया जा सकता है.

योग से ब्लड शुगर लेवल करे कंट्रोल

योग से आप अपने ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करता है और बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को घटता है. डायबिटीज रोगियों के लिए योग बेहद फायदेमंद है. योग बैड कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है.

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कंधरासन


कंधरासन

- इस आसन का अभ्यास स्वच्छ-साफ स्थान पर करें। इसके अभ्यास के लिए पहले नीचे चटाई या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।

- इसके बाद पैरों को घुटनों से मोड़कर फर्श पर टिकाएं तथा दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ी के ऊपर वाले स्थान को पकड़ लें।

- सिर को फर्श से टिका कर रखें तथा पंजों पर जोर देकर छाती, कमर, पीठ, नितम्ब व जांघों को ऊपर उठाएं।

- इस स्थिति में 1 से 2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। आसन की पूर्ण स्थिति में पूरे शरीर का भार कंधों व पंजों पर रहना चाहिए।

- इसका अभ्यास 5 से 10 बार करें। इस आसन को प्रारम्भ में करना कठिन होता है परन्तु प्रतिदिन इसका अभ्यास करने से यह आसन सरलता से होने लगता है।

उत्तान कूर्मासन


उत्तान कूर्मासन

- उत्तान कूर्मासन के अभ्यास के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं।

- फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्ब के नीचे रख लें। पंजों को मिलाकर एड़ियों को थोड़ा अलग रखें। अब पूरे शरीर का भार एड़ी व पंजों पर डालकर बैठ जाएं।

- हाथों को कमर के नीचे जमीन पर रखें। फिर शरीर का संतुलन बनाते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए शरीर को जमीन पर टिका दें।

- इसके बाद दोनों हाथों को दोनों जांघों पर रखें। आसन की इस स्थिति में कंधे व गर्दन को जमीन से सटाकर रखें और श्वासन क्रिया सामान्य रूप से करें। आसन की स्थिति में जितनी देर तक रहना सम्भव हो रहें।

कुर्मासन


कुर्मासन

- सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।

- फिर अपनी कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर हथेलियों को मिलाकर ऊपर की ओर सीधा रखें।

- इसके बाद श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकिए और ठोड़ी को भूमि पर टिका दें।

- इस दौरान दृष्टि सामने रखें और हथेलियों को ठोड़ी या गालों से स्पर्श करके रखें।

- कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं।

- यह आसन और भी कई तरीकों से किया जाता है, लेकिन सबसे सरल तरीका यही है।

अर्ध-मत्स्येन्द्रासन


अर्ध-मत्स्येन्द्रासन

- बैठकर दोनों पैर लंबे किए जाते हैं।

- बाएँ पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी गुदाद्वार के नीचे जमाएँ।

- अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर बाएँ पैर की जंघा के ऊपर रख दें।

- अब बाएँ हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करके अर्थात घुटने को बगल में दबाते हुए बाएँ हाथ से दाहिने पैर का अँगूठा पकड़ें।

- अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बाएँ पैर की जाँघ का निम्न भाग पकड़ें।

- सिर दाहिनी ओर इतना घुमाएँ क‍ि ठोड़ी और बायाँ कंधा एक सीधी रेखा में आ जाए।

- छाती बिल्कुल तनी हुई रखें।

- यह एक तरफ का आसन हुआ।

- इस प्रकार दूसरी तरफ का आसन भी करें।

- प्रारंभ में पाँच सेकंड यह आसन करना पर्याप्त है।

- फिर अभ्यास बढ़ाकर एक मिनट तक आसन कर सकते हैं।

गोमुखासन


गोमुखासन

- पहले दोनों पैरों को सामने सीधे एड़ी-पंजों को मिलाकर बैठे।

- अब बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें।

- दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें।

- इस स्थिति में दोनों जंघाएं एक-दूसरे के ऊपर रखी जाएगी जो त्रिकोणाकार नजर आती है।

- फिर श्वास भरते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की ओर ले जाएं |

- बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजें को पकड़े।

- गर्दन व कमर सीधी रखें।

- जब तक आराम से रहा जा सकता है तब तक रहें।

- धीरे- धीरे श्वास छोड़ते हुए हाथों को खोल दें और पुन: दंडासन की स्थिति में आ जाएं।

उत्तानपदासन


उत्तानपदासन

खिंचाव तक पहुँचने के लिए -

- इस आसन के लिए आप अपनी पीठ पर लेटते है। पैरों को एक साथ करो। अपनी हथेलियों शरीर से ४ से ६ इंच दूर रखिये |

- अपने पैरों को फर्श से ४५ या ५० डिग्री पर उठाइए। अपने हाटों को ऊपर उठाइए, उन्हें पैरों के समानांतर लाएं | दोनों पैर और हाथ सीधे होने चाहिए।
पसलियों का विस्तार करें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।

सामान्य स्थिति में आने के लिए -

- साँस छोड़ते हुए फर्श पर अपने पैर और हातों को आराम से रखिये।

मर्कटासन


मर्कटासन

खिंचाव तक पहुँचने के लिए -

- पैरों को सीधा करके अपनी पीठ पर सीधे लेट जाओ।

- घुटने ऊपर करके पैरों को मोड़ लें | दोनों हाथ कंधों के साथ सीधी रेखा में फैला फर्श पर रखें।

- सांस अंदर लें | सिर को दांयी ओर और अपने घुटनों को बांयी ओर मुडाईए |फर्श पर घुटनों को छूने की कोशिश करें। जहाँ तक संभव हो दांयी ओर देखो।
४ से ५ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहते हैं।

सामान्य स्थिति में आने के लिए -

- अब साँस छोड़ते वापस शुरूवाली की स्थिति में आ जाएं |

- अब दूसरे पक्ष के लिए यह आसन करें यानि इसे विपरीत दिशा में करें | ८ से १० बार के लिए इसे दोहराएँ।

शशंकासन


शशंकासन

खिंचाव तक पहुँचने के लिए -

- दोनों पैरों को घुटने से पीछे मोड़ कर वज्रासन में बैठें।

- पैरों के पंजे एक दूसरे को छूने चाहिए। पंजो के ऊपर सीधे बैठिये |

- अब घुटने एक दूसरे को सामने लाईये | घुटने एक दूसरे को छूने चाहिए।

- दोनों हाथों को ऊपर उठा कर कानो से लगाकर सीधा ऊपर उठाए |

- अब सामने शरीर को झुकाएं और जमीन को अपना माथा और हथेलियाँ छूने की कोशिश करें।

सामान्य स्थिति में आने के लिए -

- रिलीज करने के लिए, धीरे धीरे वज्रासन की सामान्य स्थिति में वापस लौटे। आप इस आसन को कम से कम ८-१० बार कर सकते हैं।

मत्स्यासन


मत्स्यासन

- पहले पद्मासन लगाकर बैठ जाएँ।

- फिर पद्मासन की स्थिति में ही सावधानीपूर्वक पीछे की ओर च‍ित होकर लेट जाएँ।

- ध्यान रहे क‍ि लेटते समय दोनों घुटने जमीन से ही सटे रहें।

- दोनों कोहनियों को भूमि से लगाए रखें।

- एक मिनट से प्रारम्भ करके पाँच मिनट तक अभ्यास बढ़ाएँ।

- पुन: हाथों की सहायता से उठकर बैठ जाएँ।

- आसन करते वक्त श्वास की गति सामान्य बनाए रखें।

चक्की चालनासन


चक्की चालनासन

- इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले साफ फर्श पर एक योगा मैट को बिछा के उस अपने दोनों पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं।

- इस आसन को करने के लिय आप दंडासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।

- फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से दूर-दूर फैला लें।

- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और दोनों हाथों को सीधा फर्श पर रखें।

- अब दोनों हाथों को ऊपर उठें और अपने मुँह के सामने की ओर सीधा कर लें।

- दोनों हाथों की उँगलियों को आपस में फसा के दोनों हाथों को जोड़ लें।

- अब साँस को अन्दर की ओर लेते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लायें और दोनों हाथों को दाएं पैर की ओर आगे करें।

- अब साँस को बाहर की ओर छोड़ते हुए दोनों हाथों को बाएं पैर की ओर से पीछे की ओर ले आयें।

- यह क्रिया कुछ देर करने के बाद पुनः इसे विपरीत दिशा में करें।

- इस आसन को आप प्रत्येक दिशा में 5 से 10 राउंड में करने का प्रयास करें।

जनु शीर्षासन



जनु शीर्षासन

- इस आसन को शांत व एकांत स्थान पर जहां स्वच्छ हवादार वातावरण हो वहां ही करें। सबसे पहले जमीन पर दरी या चटाई बिछा लें।

- फिर आसन को करने के लिए चटाई या दरी पर दोनों पांव को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। इसके बाद बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर एड़ी को दाहिनी ओर मूत्राशय से सटाकर रखें और पंजे को जांघ के साथ लगाकर रखें।

- दाहिने पांव को बिल्कुल सीधा रखें और अपने दोनों हाथों से दाहिने पांव के पंजे को पकड़ लें।

- इसके बाद धीरे-धीरे अपने सिर को दाहिने पांव के घुटने पर लगाने की कोशिश करें।

- घुटने पर सिर लगाने के लिए झुकते समय सांस को बाहर की ओर छोड़े व पेट को अंदर की ओर खींचें।

- इसके बाद धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए सांस को बाहर की तरफ छोड़ते जाएं। जब सिर घुटने पर लग जाए तो सांस सामान्य रूप से लें और छोड़े।

- सिर को घुटनों से सटाकर जितनी देर तक रहना सम्भव हो उतनी देर तक रहें। फिर सांस अंदर की तरफ खींचते हुए (पूरक करते हुए) धीरे-धीरे सिर को ऊपर उठाकर सामान्य स्थिति में आ जाएं।

- इसके बाद 2 मिनट तक आराम करें। फिर रेचक, पूरक एवं कुम्भक करते हुए इसी क्रिया को दूसरे पैर से भी करें। इस क्रिया को बदल-बदल कर दोनों पैरों से 5-5 बार करें।

मार्जरासन



मार्जरासन

- अपने घुटनों और हाथों के बल आये और शरीर को एक मेज़ कई तरह बना लें अपनी पीठ से मेज़ का ऊपरी हिस्सा बनाएं और हाथ ओर पैर से मेज़ के चारों पैर बनाएं।

- अपने हाथ कन्धों के ठीक नीचे, हथेलियां ज़मीन से चिपकी हुई रखें और घुटनो मेँ पुट्ठों जितना अंतर रखें।

- गर्दन सीधी नज़रें सामने रखें।

- सास लेते हुए अपनी ठोड़ी को ऊपर कि ओर सर को पीछे की ऒर ले जाएँ, अपनी नाभि को जमीन की ऒर दबाएं और अपनी कमर के निचे के हिस्से को छत की ओर ले जाएँ. दोनों पुटठों को सिकोड़ लें।  क्या आप थोड़ा खिंचाव महसूस कर रहें हैं?

- इस स्थिति को बनाएँ रखें ओर लंबी गहरी साँसें लेते और छोड़ते रहें।

- अब इसकी विपरीत स्थिति करेंगे - साँस छोड़ते हुए ठोड़ी को छाती से लगाएं ओर पीठ को धनुष आकार मेँ जितना उपर होसके उतना उठाएं, पुट्ठों को ढीला छोड़दें।

- इस स्थिति को कुछ समय तक बनाएँ रखें और फिर पहले कि तरह मेज़नुमा स्तिथि मेँ आ जाएँ।

- इस प्रक्रिया को पाँच से छे बार दोहराएं और विश्राम करें।

उष्ट्रासन


उष्ट्रासन

पहली विधि-

- इस आसन का अभ्यास स्वच्छ व शांत स्वच्छ हवादार वातावरण में करना चाहिए। इस आसन को करने के लिए जमीन पर दरी बिछाकर घुटनों के बल खड़े हो जाएं अर्थात दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर घुटनों के सहारे सीधे खड़े हो जाएं।

- इसके बाद दोनों घुटनो को मिलाकर तथा एड़ी व पंजों को मिलाकर रखें। अब सांस अंदर खींचते हुए धीरे-धीरे शरीर को पीछे की ओर झुकाकर दोनों हाथों से दोनों एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें। इस स्थिति में ठोड़ी ऊपर की ओर करके व गर्दन को तान कर रखें और दोनों हाथों को भी तानकर सीधा रखें।

- सामान्य रूप से सांस लेते हुए इस स्थिति में 30 सैकेंड से 1 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। इसके बाद सामान्य रूप से सांस लेते हुए 2 मिनट तक आराम करें और फिर इस क्रिया को करें। इस तरह इस क्रिया को 3 बार करें।

दूसरी विधि-

- इस आसन में पहले की तरह ही घुटनों के बल बैठ जाएं और फिर घुटनों व एड़ियों को मिलाकर रखें।

- इसके बाद सांस लेकर शरीर को धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकाते हए दोनों हाथों को पीछे पंजों से आगे फर्श पर टिकाएं और शरीर को सीधा व तानकर रखें। इस स्थिति में आने के बाद सांस सामान्य रूप से लेते हुए इस स्थिति में आधे से 1 मिनट तक रहें।

- इसके बाद सामान्य स्थिति में आकर 2 मिनट तक आराम करें। इस क्रिया को 3 बार करें।

पूर्वोत्तानासन


पूर्वोत्तानासन

- पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाते हुए बैठ जाएँ, पैरों को साथ में रखें, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।

- हथेलियों को जमीन पर रखें,कमर के पास या कन्धों के पास, उँगलियों के सिरे शरीर से दूर, बाजुओ को सीधा रखें।

- पीछे की ओर झुकें और हाथों से शरीर के वजन को सहारा दे।

- साँस भरें , श्रोणि को ऊपर उठाएँ, शरीर को सीधा रखें।

- घुटनो को सीधा रखें,पाँव को ज़मीन पर टीकाएँ, पंजो को जमीन पर रखें ,ऐसा करने पर तलवा जमीन पर ही रहेगा,सिर को ज़मीन की ओर पीछे जाने दें।

- इसी अवस्था में साँस लेते रहें।

- साँस छोड़ते हुए वापस आएँ,बैठ जाएँ,विश्राम करें।

- उँगलियों की दिशा को बदलते हुए मुद्राओं को दोहराएँ।

उत्कटासन


उत्कटासन

- उत्कटासन को 2 प्रकार से कर सकते हैं -

पहली विधि-

- इस आसन के लिए पहले दोनों पैरों को मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब धीरे-धीरे पंजों के सहारे बैठ जाएं। अब दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर घुटनों पर रखें तथा दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर रखें। अब अंगुलियों के जोड़ पर ठोड़ी को रखकर सामने की ओर देखें। आसन की इस स्थिति में जितनी देर तक सम्भव हो रहें।

दूसरी विधि-

इस आसन के अभ्यास के लिए पहले की तरह ही सीधे सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाकर सीधा करके रखें। फिर धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए एड़ी को उठाकर पंजों के बल बैठ जाएं। इस स्थिति में 1 मिनट तक रहें। फिर हाथ की स्थिति पहले की तरह आगे की ओर रखते हुए धीरे-धीरे एड़ियों को टिकाते हुए उठकर खड़े हो जाएं। इस तरह से इस क्रिया को 5 से 10 बार करें।

अर्ध चक्रासन


अर्ध चक्रासन

- पैरों को एक साथ रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ और हाथों को शरीर के साथ रखें।

- अपने शरीर के वजन को दोनो पैरों पर समान रूप से रखें।

- साँस को अन्दर की ओर खीचें, हाथों को सिर के ऊपर ले जायें और हथेलियाँ एक दूसरे के सामने हों।

- साँस छोड़ते हुए नितम्बों को थोड़ा सा आगे की तरफ धक्का दें, हल्का से पीछे की ओर झुक जाएँ, अपने हाथों को कान से सटा कर रखें, कोहनियाँ तथा घुटने सीधे रखें, सिर सीधा रखते हुये अपने सीने को छत की तरफ उठायें।

- साँस अन्दर की ओर लेते हुए इस अवस्था को कुछ देर बनाये रखें और फिर धीरे से वापस आ जाएँ।

- साँस छोड़ते हुए अपने हाथों को नीचे लायें और विश्राम करें।

कटीचक्रासन


कटीचक्रासन

पहली विधि-

- कटिचक्रासन का अभ्यास करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखें।

- अब कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाईं ओर लाकर धड़ से लपेटे।

- सांस क्रिया सामान्य रूप से करते हुए मुंह को घुमाकर बाएं कंधों की सीध में ले आएं। इस स्थिति में कुछ समय तक खड़े रहें और फिर दाईं तरफ से भी इस क्रिया को इसी प्रकार से करें।

- इस क्रिया को दोनों हाथों से 5-5 बार करें। ध्यान रखें कि कमर को घुमाते हुए घुटने न मुड़े तथा पैर भी अपने स्थान से बिल्कुल न हिले।

दूसरी विधि-

- इसके लिए पैरों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर सीधे खड़े हो जाएं।

- दोनों हाथों को कंधों की सीध में सामने की ओर करें तथा दोनों हथेलियों को आमने-सामने रखें। अब सांस सामान्य रूप से लेकर हाथों को धीरे-धीरे घुमाकर दाईं बगल में कंधे की सीध में ले आएं।

- फिर शरीर को भी धीरे-धीरे घुमाते हुए मुंह को बाईं ओर कंधे के सामने लाएं। इस स्थिति में दाएं हाथ को कंधे की सीध में रखें तथा बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर छाती से थोड़े आगे करके रखें।

- इस तरह इस क्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।

गरुडासन


गरुडासन

- इस आसन को शांत तथा स्वच्छ वायु वाले स्थान पर करें। इस आसन में पहले सामान्य स्थिति (सावधान की स्थिति) में खड़े हो जाएं।

- इसके बाद बाएं पैर को सीधा रखें और दाएं पैर को बाएं पैर में लता की तरह लपेट लें। अब दोनों हाथों को सीने के सामने रखकर हाथों को आपस में लता की तरह लपेट कर हाथों को थोड़ा-सा आगे की ओर करें।

- इस स्थिति में दोनों हाथों को गरुड़ की चोंच की तरह बना कर रखें। इसके बाद स्थिर पैर (बाएं पैर) को धीरे-धीरे नीचे झुकाते हुए दाएं पैर को पंजों को जमीन पर सटाने की कोशिश करें। इस स्थिति में 1 मिनट तक रहें। इसके बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।

- फिर दाएं पैर को नीचे सीधा खड़ा रखकर बाएं पैर को उस पर लता की तरह लपेट लें। हाथों की स्थिति पहले की तरह ही रखें। इस तरह इस क्रिया को दोनों पैरों से 5-5 बार करें। इसके अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं।

वृक्षासन


वृक्षासन

- हाथों को बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।

- दाहिने घुटनें को मोड़ते हुए अपने दाहिने पंजे को बाएँ जंघा पर रखेंI आपके पैर का तलवा जंघा के ऊपर सीधा एवं ऊपरी हिस्से से सटा हुआ हो।

- बाएँ पैर को सीधा रखते हुए संतुलन बनाये रखें।

- अच्छा संतुलन बनाने के बाद गहरी साँस अंदर लें, कृतज्ञता पूर्वक हाथों को सर के ऊपर ले जाएँ और नमस्कार की मुद्रा बनाएंI

- बिल्कुल सामने की तरफ देखें, सीधी नज़र सही संतुलन बनाने में अत्यंत सहायक हैI

- रीढ की हड्डी सीधी रहे I आपका पूरा शरीर रबर बैंड की तरह तना हुआ होI हर बार साँस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोडते जाएँ और विश्राम करें, मुस्कुराते हुए शरीर और साँस के साथ रहेंI

- धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आयेंI धीरे से दाहिने पैर को सीधा करेंI

- सीधे लम्बे खड़े हो जाए बिल्कुल पहले की तरहI अब बाएँ तलवे को दाहिने जांघ पर रख कर आसन को दोहराएंI

वीरभद्रासन


वीरभद्रासन

- पैरों को ३ से ४ फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ।

- दाहिने पैर को ९०° और बाएँ पैर को १५° तक घुमाएँ।

- जाँच करें- दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें।

- दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए ।

- जाँच करें- हाँथ जमीन के समांतर हो।

- साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े।

- जाँच करें- दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।

- सर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।

- आसन में स्थिर हो कर हाथों को थोड़ा और खीचें।

- धीरे से श्रोणि(पेल्विस) को नीचे करें. एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें और मुस्कुराते रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें।

- साँस लेते हुए ऊपर उठें।

- साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।

- बाएँ तरफ से इसे दोहराएं.( बाएँ पैर को ९०° एवं दाये को १५° तक घुमाये)